सुपर ब्लू मून अंतरिक्ष में होने वाली एक अनोखी और दुर्लभ घटना है। अगर आप सोच रहे हैं कि इस दिन चाँद नीले रंग का दिखाई देगा, तो यकीन मानिये ये लेख आपके लिए ही है। इसको पढ़ने के बाद आप समझ जाएंगे कि सुपर मून , ब्लू मून , ब्लड मून क्या है ? ये कैसे और कब होते हैं और हम इनको कैसे देख सकते हैं।
क्या आप जानते हैं क्या होता है सुपर ब्लू मून ?
अगर आप भी अंतरिक्ष की इस अनोखी और दुर्लभ घटना के गवाह बनना चाहते हैं तो आपको पहले जानना होगा कि आखिर ये ब्लू मून और सुपर मून होता क्या है। जैसे कि आपको पता ही होगा कि चन्द्रमा पृथ्वी के चारों ओर परवलयाकार कक्षा में घूमता है। चाँद पृथ्वी का एक पूरा चक्कर लगाने में लगभग 29.5 दिन लगाता है। इस तरह से हर महीने में एक पूर्णिमा और एक अमावस्या होती है। पूर्णिमा के दिन पूरा गोल चाँद दिखाई देता है और अमावस्या के दिन चाँद दिखाई नहीं देता है।
कुछ खगोलीय गणनाओं और घटनाओं की वजह से कभी-कभी ऐसी स्थिति निर्मित हो जाती है कि एक महीने में दो बार पूर्णिमा हो जाती है। इस स्थिति में दूसरी पूर्णिमा को ब्लू मून कहते हैं।
अपनी कक्षा में घूमने के दौरान कभी चन्द्रमा पृथ्वी के पास होता है और कभी दूर। सुपर मून तब बनता है जब चन्द्रमा पृथ्वी के सर्वाधिक निकट होता है। इस रात को चन्द्रमा अपने सामान्य आकार से ज्यादा बड़ा और ज्यादा चमकदार दिखाई देता है। सुपर ब्लू मून का दुर्लभ संयोग तब बनता है जब चन्द्रमा पृथ्वी के सर्वाधिक निकट हो और उस महीने में दो पूर्णिमाएं भी हों। ऐसे स्थिति में पहली या दूसरी किसी भी पूर्णिमा को सुपर ब्लू मून बन सकता है। ये चन्द्रमा और पृथ्वी के बीच की दूरी पर निर्भर करता है।
सुपर ब्लू मून में क्या ख़ास होता है ?
इस रात को चन्द्रमा और पृथ्वी के बीच की दूरी साल में सबसे कम होती है। इस वजह से चन्द्रमा का आकार और चमक दोनों ही सामान्य दिनों की अपेक्षा में ज्यादा होता है। सुपर मून वाली रात में चन्द्रमा का आकार अपने सामान्य आकार से औसतन 14 -15 % बड़ा होता है। यह आकार फ़िक्स नहीं है क्यूंकि हर सुपर मून के समय चन्द्रमा और पृथ्वी के बीच की दूरी घटती-बढ़ती रहती है। अगर दूरी कम है तो आकार बड़ा और अगर दूरी ज्यादा है तो आकार छोटा हो सकता है।
चमक के सन्दर्भ में भी आकार और दूरी वाला नियम ही लागू होता है। पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी जितनी कम होगी, चन्द्रमा की चमक भी उतनी ही ज्यादा होती है। अगर आपने प्रकाश के परावर्तन के बारे में पढ़ा हो तो आप समझ सकते हैं कि दूरी के बढ़ने और घटने के साथ साथ चाँद के रंग में भी परिवर्तन होता है। ब्लू मून के दिन चन्द्रमा का रंग हल्का सा लाल या नारंगी कलर का हो जाता है।
इसको ब्लू मून क्यों कहते हैं ?
ब्लू मून का मतलब नीला चाँद बिलकुल भी नहीं है। चाँद का रंग कभी नीला होता ही नहीं है। दरअसल किसी भी दुर्लभ और अनोखी घटना को काव्यात्मक शब्दों में ब्लू मून की संज्ञा दी जाती है। एक महीने में दो-दो पूरे चाँद होना एक दुर्लभ घटना है इसलिए इसको ब्लू मून का नाम दिया गया है।
कब-कब हुआ है सुपर ब्लू मून ?
ब्लू मून और सुपर ब्लू मून दुर्लभ खगोलीय घटनाएं तो हैं लेकिन ये संयोग समय-समय पर बनते रहते हैं। ब्लू मून लगभग हर तीन साल में एक बार होता है। चन्द्रमा को पृथ्वी का एक चक्कर लगाने में लगभग 29.53 दिन लगते हैं। एक साल में दिनों की कुल संख्या होती है 365.25 । इस तरीके से अगर हिसाब लगाया जाए तो चन्द्रमा एक साल में पृथ्वी के 12 चक्कर लगा लेता है और 11 दिन अतिरिक्त बच जाते हैं। लगभग तीन साल में इन अतिरिक्त दिनों की संख्या बढ़कर 29.53 से ज्यादा हो जाती है और उस महीने में दो पूर्णिमायें हो जाती हैं। वैसे दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में ब्लू मून दिखता ही रहता है।
किस दिन दिखेगा सुपर ब्लू मून ?
भारत में इस वर्ष अगस्त के महीने में दो पूर्णिमाएं हुयी हैं। पहली पूर्णिमा 1 अगस्त को और दूसरी पूर्णिमा 30 अगस्त को है। ये दोनों ही दिन ब्लू मून के दिन हैं, लेकिन सुपर ब्लू मून सिर्फ 30 अगस्त को है , क्यूंकि इस दिन पृथ्वी और चाँद के बीच की दूरी 1 अगस्त को चाँद और पृथ्वी की दूरी की तुलना में कम है।
कितने बजे चाँद सर्वाधिक चमकीला (सुपर ब्लू मून) होगा?
30 अगस्त 2023 को भारतीय समय अनुसार दिन के 11 बजकर 07 मिनिट पर ब्लू मून सबसे ज्यादा चमकदार होगा। चूँकि दिन के समय चाँद की चमक दिखाई नहीं देगी, इसलिए भारत में सुपर ब्लू मून दिखाई नहीं देगा। इसलिए उस समय जहाँ पर रात होगी वहां पर सुपर ब्लू मून का नजारा देखा जा सकेगा। इंटरनेट के माध्यम से हम दुनिया के किसी भी हिस्से में दिख रहे सुपर मून को देख सकते हैं।
सुपर ब्लू मून से आम आदमी की जिंदगी पर क्या प्रभाव पड़ता है।
चन्द्रमा का मानव मस्तिष्क और जीवन पर काफी मत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। चन्द्रमा की कक्षा और स्थिति से प्रजनन क्षमता ,महिलाओं के मासिक धर्म, बच्चों के जन्म और स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण और गहरा प्रभाव पड़ता है।
सुपर ब्लू मून का प्रभाव भी सामान्य लोगों के मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए काफी महत्वपूर्ण है। जब चाँद पृथ्वी के ज्यादा निकट होता है तो लोगो की संवेदनशीलता और कलात्मकता पर असर पड़ता है। जो लोग इस बात को समझते हैं और इसका सही उपयोग करते हैं, उनकी उत्पादकता बढ़ जाती है। इसलिए सुपर मून आम इंसान के जीवन और रिश्तों के लिए काफी महत्वपूर्ण है।
ब्लू मून से अंतरिक्ष अभियानों पर क्या प्रभाव पड़ेगा
सुपर ब्लू मून की यह खगोलीय घटना भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान के हिसाब से काफी महत्वपूर्ण है। इस समय भारतीय अंतरिक्ष यान चंद्रयान -3 द्वारा भेजा गया रोवर प्रज्ञान और लेंडर विक्रम चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उपस्थित हैं। प्रज्ञान सिर्फ 14 दिन ही सक्रिय रहेगा। चाँद पर 14 दिनों के बराबर एक दिन होता है। पूरी दुनिया में सिर्फ भारत ही चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुँच पाया है। इस स्थिति में देखा जाए तो ये सोने पे सुहागा वाली स्थिति है।
अनुसंधान के लिए जो परिस्थितियां काफी दुर्लभ होती हैं सुपर ब्लू मून की यह खगोलीय घटना भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान के हिसाब से काफी महत्वपूर्ण है। इस समय भारतीय अंतरिक्ष यान चंद्रयान -3 द्वारा भेजा गया रोवर प्रज्ञान और लेंडर विक्रम चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उपस्थित हैं। प्रज्ञान सिर्फ 14 दिन ही सक्रिय रहेगा। चाँद पर 14 दिनों के बराबर एक दिन होता है। पूरी दुनिया में सिर्फ भारत ही चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुँच पाया है। इस स्थिति में देखा जाए तो ये सोने पे सुहागा वाली स्थिति है। अनुसंधान के लिए जो परिस्थितियां काफी दुर्लभ होती हैं।उस समय भारतीय प्रज्ञान चाँद पर मौजूद है।
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क्या ब्लू मून और ब्लड मून अलग अलग हैं ?
ब्लड मून का संयोग तब बनता है जब सूरज की रौशनी चाँद के ऊपर पृथ्वी के वायुमंडल से गुजरकर पहुँचती है। इस स्थिति प्रकाश के परावर्तन और अपवर्तन की वजह से चाँद का रंग हल्का लाल और नारंगी रंग का हो जाता है।
हम सुपर मून को कैसे देख सकते हैं ?
सुपर मून को हम अपनी सामान्य दृष्टि से ही देख सकते हैं। इसका मतलब हमें किसी दूरदर्शी यंत्र या फिर फोटोस्कोपिक लेंस की आवश्यकता नहीं है।
सुपर ब्लू मून के बारे में जानने योग्य कुछ मत्वपूर्ण तथ्य
क्या हम सुपर मून को देख सकते हैं?
सुपर मून को हम अपनी सामान्य दृष्टि से ही देख सकते हैं।
क्या सुपर मून से चंद्रयान मिशन पर कोई असर पड़ेगा।
सुपर मून चंद्रयान मिशन के लिए प्लस पॉइंट है। इससे अनुसंधान के लिए दुर्लभ परिस्थितियां आसानी से उपलब्ध हो गयीं हैं।
क्या सुपर मून को देखने से आँखों पर कोई गलत प्रभाव पड़ेगा।
सुपर मून को देखने से आँखों पर कोई गलत प्रभाव नहीं पड़ेगा।
क्या गर्भवती महिलाओं को सुपर मून नहीं देखना चाहिए।
इसके बारे में कोई वैज्ञानिक तथ्य उपलब्ध नहीं हैं। कृपया अपने पारिवारिक चिकित्सक की सलाह का पालन करें।
क्या सुपरमून को देखने के लिए टेलीस्कोप जरुरी है?
सुपर मून को हम अपनी सामान्य दृष्टि से भी देख सकते हैं।
क्या सुपरमून दिन में दिख सकता है ?
दिन में सूरज की रौशनी की वजह से सुपर मून को सही तरीके से देखा नहीं जा सकता है।
क्या सुपरमून और चंद्र ग्रहण एक ही चीज है ?
सुपरमून और चंद्र ग्रहण अलग-अलग घटनाएं हैं।
सुपरमून और चंद्र ग्रहण में क्या अंतर है?
चंद्रग्रहण की घटना में पृथ्वी सूर्य और चन्द्रमा के बीच में आ जाती है।
सुपरमून और ब्लूमून में क्या अंतर है?
जब एक महीने में दो बार पूर्णिमा हो जाती है, इस स्थिति को ब्लू मून कहते हैं। सुपर मून तब बनता है जब चन्द्रमा पृथ्वी के सर्वाधिक निकट होता है।
सुपरमून और ब्लड मून में क्या अंतर है?
सुपर मून तब बनता है जब चन्द्रमा पृथ्वी के सर्वाधिक निकट होता है। ब्लड मून का संयोग तब बनता है जब सूरज की रौशनी चाँद के ऊपर पृथ्वी के वायुमंडल से गुजरकर पहुँचती है।
ब्लू मून और ब्लड मून में क्या अंतर है?
जब एक महीने में दो बार पूर्णिमा हो जाती है, इस स्थिति को ब्लू मून कहते हैं।ब्लड मून का संयोग तब बनता है जब सूरज की रौशनी चाँद के ऊपर पृथ्वी के वायुमंडल से गुजरकर पहुँचती है।
क्या ब्लू मून नीले रंग का होता है ?
ब्लू मून का मतलब नीला चाँद बिलकुल भी नहीं है।
ब्लू मून किस रंग का होता है ?
ब्लू मून के दिन चन्द्रमा का रंग हल्का सा लाल या नारंगी कलर का हो जाता है।