विश्वकप का 39 वां मैच एक ऐसा रिकॉर्ड अपने नाम करके गया है जिसके आने वाले भविष्य में टूटने की संभावनाएं बहुत कम हैं। ऑस्ट्रेलिया के आलराउंडर बल्लेबाज ग्लेन मैक्सवेल ने ऐसी बल्लेबाजी की है कि दुनिया के सभी नए पुराने बल्लेबाज , क्रिकेट विशेषज्ञ और खेल प्रेमी भौंचक्के रह गए। एक 99.80% हारा हुआ मैच हार से निकाल कर अपने अकेले के दम पर जीत में बदलकर अपने नाम एक बेजोड़ रिकॉर्ड कर लिया। जिसने भी इस पारी को देखा और सुना उसके मुंह से सिर्फ एक ही शब्द निकला- अद्भुत , अद्वितीय ,अविश्सनीय , लाजवाब।
पहली पारी में अफगानिस्तान का कमाल
अफगानिस्तान ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया और उनके बल्लेबाजों ने इस फैसले को सही भी साबित किया। निर्धारित पचास ओवरों में अफगानिस्तान ने पांच विकेट खोकर 291 रन बनाये। अफगानिस्तान के सलामी बल्लेबाज इब्राहिम जादरान ने पहली गेंद से लेकर आखिरी गेंद तक क्रीज पर रहकर नाबाद 129 रन बनाये।
यह अफगानिस्तान के किसी भी बल्लेबाज द्वारा लगाया गया विश्व कप का पहला शतक है। इब्राहीम ने कुल 143 गेंदों का सामना किया और इस दौरान उन्होंने आठ चौके और छक्के भी लगाए। रहमत शाह ने 30 और राशिद खान ने ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करते हुए 18 गेंदों पर नाबाद 35 रन बनाये। उन्होंने दो चौके और तीन छक्के लगाए। आस्ट्रेलिया की तरफ से गेंदबाजी करते हुए हेजलवुड ने दो एवं ज़म्पा , स्टार्क और मैक्सवेल ने एक एक विकेट लिया।
अफगानिस्तान की आक्रामक गेंदबाजी
292 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी आस्ट्रेलिया की टीम को जमने का समय ही नहीं मिल पाया। अफगानिस्तान की गेंदबाजी के सामने ऑस्ट्रेलिया के धुरंधर बल्लेबाज ताश के पत्तों की तरह ढहने लगे। दूसरे ही ओवर में ऑस्ट्रेलिया का पहला विकेट गिर गया जब सलामी बल्लेबाज ट्रेविस हेड को नवीन उल हक़ ने अपने पहले ओवर की दूसरी गेंद पर इकराम अलिखिल के हाथों कैच करवा दिया।
अपने तीसरे ओवर में नवीन ने मिशेल मार्श को एल बी डब्लू आउट कर दिया और ऑस्ट्रेलिया का स्कोर 5.4 ओवर में दो विकेट पर 43 रन हो गया। इससे पहले कि ऑस्ट्रेलिया की टीम इन दो झटकों से उबर पाती ,अज़मत ने नौवें ओवर के पहली दो गेंदों पर लगातार दो खिलाड़यों को आउट कर दिया। पहली गेंद पर डेविड वार्नर को क्लीन बोल्ड किया और अगली ही गेंद पर जोश इंग्लिश को इब्राहिम जदरान के हाथों कैच करवा दिया। इंग्लिश अपना खाता भी नहीं खोल सके।
अपनी तीसरी गेंद पर अज़मत ने मैक्सवेल को लगभग आउट करके अपनी हैट्रिक पूरी कर ली थी लेकिन उनका कैच केरी नहीं हुआ और आस्ट्रेलिया का स्कोर 9.3 ओवर्स में चार विकेट पर 49 रन हो गया।
ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाजों ने इसको भी सीरियस नहीं लिया और गलतियां करना जारी रखा। इसी क्रम में 15 वें ओवर में मार्क लाबुशेन रन आवर हो गए। इसके बाद खेलने आये स्टोइनिस भी क्रीज पर नहीं टिक सके और राशिद खान ने उनको एल बी डब्लू आउट कर दिया। 19वें ओवर में राशिद खान ने मिशेल स्टार्क को भी इकराम के हाथों से कैच करवा दिया। अब ऑस्ट्रेलिया की हालत दयनीयहो गयी थी। उनका स्कोर था 18.3 ओवर्स में सात विकेट पर 91 रन। इस समय आस्ट्रेलिया टीम की जीत के चांस एक प्रतिशत से भी कम थे।
मैक्सवेल का एकतरफा प्रदर्शन
बीस ओवर के खेल के बाद मैक्सवेल ने ड्राइविंग सीट संभाली , उनके साथ में दूसरे बल्लेबाज थे पैट कमिंस उनका पूरा साथ दिया। इसके बाद जो हुआ वो अपने आप में एक इतिहास है। ऑस्ट्रेलिया के पास बल्लेबाजों की ये अंतिम जोड़ी थी और लक्ष्य अभी भी 200 रन दूर था। अफगानिस्तान साथ विकेट लेकर मैच को लगभग जीत चुका था सिर्फ औपचारिकता बाकी थी। लेकिन जैसे कहा जाता है कि क्रिकेट अनिश्चितताओं का खेल है और आखिरी गेंद के खेले जाने तक कुछ भी नहीं कहा जा सकता।
ओवर 21-30
बीस ओवरों की समाप्ति पर आस्ट्रेलिया टीम का स्कोर था सात विकेट पर 98 रन। लक्ष्य अभी काफी दूर था और विकेट ज्यादा बचे नहीं थे। इस दौरान इन दस ओवरों (21- 30)में एक अलग तरह की क्रिकेट देखने को मिली। एक तरफ जहाँ ग्लेन मैक्सवेल T20 मैच की तरह बल्लेबाजी कर रहे थे तो वहीँ दूसरी तरफ पैट कमिंस एक छोर को थामे हुए टेस्ट रहे थे। एक का फोकस रन बनाकर लक्ष्य हासिल करना था और दूसरे का फोकस विकेट बचाना था। दोनों ही खिलाडियों का अंतिम लक्ष्य अफगानिस्तान को जीत से दूर ले जाना था।
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इन दस ओवरों में आस्ट्रेलिया टीम ने कुल ने कुल 71 रन बनाये। मैक्सवेल ने 39 गेंदों पर 60 रन जोड़े। कमिंस ने 21 गेंदों पर सिर्फ दो रन जोड़े। 9 अतिरिक्त रन मिले।टीम का स्कोर हो गया था सात विकेट पर 169 रन आस्ट्रेलिया की टीम खतरे से निकल चुकी थी लेकिन मंजिल अभी भी दूर थी।
ओवर 31-40
इन दस ओवरों में आस्ट्रेलिया ने 63 रन बनाये। इसमें से 58 रन अकेले मैक्सवेल ने बनाये थे। मैक्सवेल नेअपना शतक पूरा किया और उसके बाद बाद उनके पैर में क्रेम्प की शिकायत हुई जिससे वो काफी दर्द में दिखे। उनको रन लेने के लिए दौड़ने में काफी दर्द हो रहा था अतः उन्होंने दौड़कर रन लेने की बजाय बाउंड्रीज पर फोकस किया। मैक्सवेल ने इस दौरान 6 चौके और तीन छक्के लगाए।
दूसरे छोर पर कमिंस ने बढ़िया साथ दिया वो एक छोर थामकर खड़े रहे और विकेट नहीं गिरने दिया। इन दस ओवरों में से कमिंस ने 28 गेंदें खेलीं और सिर्फ चार रन बनाये। 40 ओवर्स की समाप्ति पर आस्ट्रेलिया टीम का स्कोर था सात विकेट पर 232 रन।
ओवर 41-50
आखिरी दस ओवरों में ऑस्ट्रेलिया को 60 रनों की जरुरत थी। मैक्सवेल की हालत बदतर होती जा रही थी क्रेम्प की वजह से दौड़ना तो दूर उनको चलने में भी काफी परेशानी हो रही थी। 41वें ओवर की दूसरी गेंद पर एक सिंगल रन लेने के बाद उनको कड़े होने में भी काफी परेशानी हुई, तुरंत मेडिकल सपोर्ट प्रदान किया गया। लग रहा था की शायद अब ये स्ट्रेचर पर वापिस जाएंगे। इस समय मैक्सवेल के दर्द को सारी दुनिया ने देखा , अकेले डिज्नी हॉटस्टार पर 2.5 करोड़ लोग इसको लाइव देख रहे थे। एडम जम्पा नए बल्लेबाज के रूप में तैयार होकर पवेलियन से बाहर आ गए और कभी भी ग्राउंड में इंटर कर सकते थे।
ऐसी हालत में भी मैक्सवेल ने हिम्मत नहीं हारी और आगे खेलना जारी रखा। इन दस ओवरों में ऑस्ट्रेलिया ने कुल 61 रन बनाये जिसमे से 59 रन अकेले मैक्सवेल ने बनाये। इसमें 6 चौके और 5 छक्के थे। कमिंस ने सिर्फ एक रन बनाया और एक रन अतिरिक्त के रूप में मिला।
47वें ओवर की पांचवी गेंद पर जब मैक्सवेल ने अपना दसवां छक्का लगाया तबै तक इतिहास रचा जा चुका था। आस्ट्रेलिया इस मैच को सात विकेट से जीत चुका था। मैक्सवेल के नाबाद 201 रन और किसी ऑस्ट्रेलियन बल्लेबाज का पहला दूसरा शतक वो भी विश्व कप में। आठवें विकेट के लिए 200 रनों की साझेदारी। आखिरी के दस ओवरों में मैक्सवेल का सिर्फ एक टांग पर खड़े होकर खेलना और हिम्मत हारना। ये सब विश्व रिकॉर्ड हैं। आज तक ऐसी कोई पारी नहीं हुई है और इस पारी को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता।