आर्थिक प्रबंधन में मध्यम वर्ग की १० गलतियां और उनसे बाहर निकलने के उपाय। (10 Mistakes of middle class in wealth management & their solution)

आर्थिक प्रबंधन

मध्यम वर्ग (Middle class) के लिए आर्थिक प्रबंधन (wealth management) को नियंत्रित करना मुश्किल होता है। खासकर जब आप अपने कॅरियर के शुरूआती दिनों में हों। देखा जाता है की कई लोग जो कि जॉब करते-करते कई साल गुजर चुके हैं लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति ज्यों की त्यों ही रहती है। आय के बढ़ने के साथ साथ लोगो की बचत नहीं बढ़ती है। ऐसा अधिकतर लोगों के साथ होता है,कि जैसे जैसे उनकी आय बढ़ने लगती है ,उनका खर्च भी उसी अनुपात में बढ़ने लगता है।

नौकरी पेशा लोग अपने कॅरियर के शुरूआती दिनों में जितना पैसा बचा सकते है, उनकी सैलरी बढ़ने के बाद उतना भी नहीं बचा पाते हैं। इसका मुख्य कारण होता है, आर्थिक प्रबंधन (Wealth management) के बारे में उचित जानकारी का अभाव। आपने पैसा कमाना तो सीख लिया लेकिन उसको खर्च करना नहीं सीखा। जैसे आपकी आय बढ़ी वैसे ही आपका खर्च भी बढ़ गया।

आजकल स्कूलों में भी ये नहीं सिखाया जाता कि अपनी आर्थिक स्थिति को नियंत्रण में कैसे रखें। जबकि पूरी जिंदगी इसी काम में निकलना है। वित्त प्रबंधन की जानकारी का अभाव होने से मध्यम वर्ग के लोग कई गलतियां करते जाते हैं। वर्तमान समय में मध्यम वर्ग को फ़साने के लिए मार्किट में इतने जाल भी बिछे हुए हैं कि उनसे बचना लगभग नामुमकिन सा है। उचित सावधानी से इनसे बचा जा सकता है।

आज के इस लेख के माध्यम से हम Top-10 गलतियों के बारे में बता रहे हैं जिनमे मध्यम वर्ग के लोग अक्सर फंस जाते हैं। इनसे बचने और बाहर निकलने (आर्थिक प्रबंधन) के उपायों के बारे में भी बताएँगे।

Table of Contents

1. कर्जों को नियंत्रित न करना

अपने कर्जों को नियंत्रण से बाहर जाने देना भविष्य में आपकी आर्थिक स्थिति को बुरी तरह से प्रभावित कर सकता है। आजकल लगभग हर जरुरत की चीज क्रेडिट पर उपलब्ध है। फ्लिपकार्ट ,अमेजॉन ,मेकमाई ट्रिप जैसी कम्पनिया मध्यम वर्ग को उकसाती हैं कि हमारे पास आइये और उधारी के पैसों से ऐस कीजिये। सभी कंपनियां पे लेटर की सुविधा उपलब्ध करा रहीं है। ये मध्यम वर्ग को फ़साने एक बहुत बड़ा जाल है।

क्रेडिट के चक्कर में इंसान उन चीजों को भी खरीद लेता है ,जिनके बिना उसका काम चल सकता था। क्रेडिट का यूज करते समय ये अहसास नहीं होता है कि वो अपनी भविष्य की कमाई को खर्च कर रहा होता है। सोचिये जो पैसे अभी आपकी जेब में आये भी नहीं है वो पैसे इन कंपनियों ने पे लेटर का लालच दिखाकर आपकी जेब से निकाल लिए।

कर्ज से कैसे बचें ?

क्रेडिट कार्ड और पर्सनल लोन कुछ ऐसे ही प्रोडक्ट हैं जिनसे बचा जाना चाहिए। दिनभर में आपको टेलीमार्केटिंग वालों के दर्जनों फोन कॉल्स आते होंगे। ये लोग आपको आसान किस्तों और काम interest पर पर्सनल लोन दिलाने का ऑफर देंगे। जीवन भर फ्री चार्जेज वाला क्रेडिट कार्ड ऑफर करेंगे। आपको लगेगा की ये आपके सबसे बड़े शुभचिंतक हैं। सावधान रहे , क्रेडिट कार्ड और पर्सनल लोन आपकी वित्तीय स्थिति को बिगाड़ सकते हैं।

जब तक अत्यधिक इमरजेंसी न हॉ तब तक इन प्रोडक्ट्स का उपयोग ना करें।पे लेटर का इस्तेमाल भी कम से कम करें। ऑनलाइन ट्रांजेक्शन की बजाय केश में लेनदेन की आदत डालें. आपके खर्च नियंत्रण में रहेंगे। अपनी भविष्य की इनकम को भूलकर भी खर्च न होने दें।

कर्ज से बाहर कैसे निकलें ?

अगर आपने क्रेडिट का इस्तेमाल कर भी लिया है है तो जितना जल्दी हो सके उसको चुकाकर ख़त्म कर दें। कहीं से पैसों का अरेंजमेंट करके या फिर कुछ गैर जरुरी खर्च कम करके अपने कर्ज को जल्दी से जल्दी ख़त्म करें। इससे पहले कि कर्ज आपके नियंत्रण से बाहर हो जाये , आप उसके जाल से बाहर निकलें।

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2. बजट को फॉलो ना करना (Failing to Follow a Budget)

अगर आपकी आय बढ़ने के साथ साथ बचत नहीं बढ़ रही है तो आपको ये देखना होगा कि गलती कहाँ हो रही है। क्या आप अपने आय और व्यय का कोई हिसाब रख रहे है। क्या आप मंथली सैलरी आने के पहले कोई बजट बनाते हैं। क्या आप उस बजट को फॉलो करते हैं। क्या आप महीने के अंत में एक बार रिव्यू करते हैं। ये सब आपकी अपनी व्यक्तिगत जिंदगी का सबसे जरुरी हिस्सा है।

आप अपने ऑफिस के कार्यों में या फिर बिजिनेस मीटिंग में बहुत अच्छा प्रेजेंटेशन देते हैं , लेकिन अपनी व्यक्तिगत आर्थिक प्रबंधन का बजट नहीं बना रहे हैं तो सावधान हो जाइये।अगर आपकी आय बढ़ रही है तो आपको अपने बजट में उचित बदलाव करने होंगे। अगर आपने बजट नहीं बनाया तो आपके खर्चों पर नियंत्रण नहीं रहेगा और आपका आर्थिक प्रबंधन गड़बड़ हो जायेगा।

बजट कैसे बनाएं ?

आपने संसद की कार्यवाही देखी है ? केंद्र सरकार उसमे हर साल वित्त बजट पेश करती है। नया फाइनेंसियल ईयर शुरुर होने से पहले बजट पेश कर दिया जाता है। इसमें आने वाले साल अनुमानित आय ,आय के स्रोत, अनुमानित खर्च ,खर्च के कारण, आय बढ़ाने के लिए कोई नयी योजना , कोई आकस्मिक खर्च के लिए इमरजेंसी फंड आदि बहुत सारी जानकारियां होती हैं। हमें भी ठीक इसी प्रकार से कार्य करना है। इतने बड़े लेवल पर नहीं लेकिन अपने व्यक्तिगत लेवल पर अपने आर्थिक प्रबंधन के लिए।

एक डायरी ले लें या फिर अगर उपलब्ध हो तो एक एक्सेल शीट तैयार करें। एक पेज पर अपनी आय और उसके स्रोतों की लिस्ट बनाएं। दूसरी तरफ अपने सारे खर्चों की लिस्ट बनाएं। सारे खर्च – मंथली घरेलु खर्च, गाडी के पेट्रोल का खर्च , राशन , दूध, गैस , बिजली , फोन , टीवी समस्त छोटे बड़े खर्च और पैसे लिखें। आकस्मिक खर्चों के लिए एक फंड में कुछ पैसे रखें। एक बार बजट तैयार हो जाने के बाद उसको कड़ाई से फॉलो करें। अगर मंथ के बीच में कोई ऐसा खर्च आता है , जिसके उल्लेख बजट में नहीं है तो उसको आकस्मिक फंड से एडजस्ट करें।

महीने के अंत में बजट का रिव्यू करें और देखें की क्या आप पूरे महीने बजट को फॉलो कर पाए हैं? अगर कहीं कुछ मिस हुआ है तो अगले महीने के बजट में शामिल करें।

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बजट को नियंत्रित कैसे करें ?

आर्थिक प्रबंधन के मामले में अक्सर ये समस्या आयेगी कि बजट तो बना लिया लेकिन उसको फॉलो नहीं कर पाए। आपने खर्च की लिमिट कुछ और तय की है लेकिन खर्चा कुछ ज्यादा हो गया। आइये देखते हैं कि बजट फॉलो मुख्य कारण क्या हो सकते हैं :

१- आय उम्मीद से कम हुयी – ऐसा हो सकता है कि बजट में आपने जो अनुमानित आय लिखी है ,उतनी नहीं हुयी।आपकी सैलरी में से कुछ अमाउंट डिडक्ट हो गया , मान लीजिये टीडीएस, या कोई अन्य खर्च।ऐसे केसेज के लिए आप अपने आकस्मिक खर्च वाले फण्ड में १०% हिस्सा रखिये। याद रहे की आकस्मिक फंड में आपको हर महीने पैसे एड नहीं करना है , ये सिंगल टाइम है , अगर किसी महीने में आप अपने आकस्मिक फंड में से पैसे ले लेते हैं तो फिर अगले महीने इनको वापिस कर दें।

२. खर्चा ज्यादा हो गया : अगर किसी आकस्मिक घटना की वजह से आपका खर्चा ज्यादा हो गया है तो आप आकस्मिक फंड का इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर नार्मल मंथली खर्च में ही लिमिट से ज्यादा खर्च हो गया तो इसका मतलब आपका आर्थिक प्रबंधन ठीक नहीं बना है। याद रहे की बजट बनाने से ही सब कुछ नियंत्रित नहीं हो जाएगा। बजट का क्रियान्वयन सही तरीके से करने से ही आर्थिक प्रबंधन ठीक होगा।

आपको अपने खर्चों को नियंत्रित करना होगा। अगर कोई खर्च बजट में नहीं लिखा है तो अच्छा होगा आप उसके अगले महीने के लिए टाल दें। अगले महीने तक या तो उसकी जरुरत ख़त्म हो जायेगी। अगर नहीं तो फिर अगले महीने के बजट में उसको एड कर दें।

3. आकस्मिक निधि ना बनाना (Ignoring Emergency fund)

अनचाही परिस्थितियाँ जैसे कि चिकित्सा खर्च , कार रिपेयर अचानक से आपके आर्थिक प्रबंधन को बिगाड़ सकते हैं। आकस्मिक सुरक्षा निधि ऐसी ही परिस्थितियों में एक वरदान की तरह काम में आ सकती है। आकस्मिक निधि आपके आर्थिक प्रबंधन बजट को अनियंत्रित होने से बचा सकती है। मध्यम वर्ग के लोग आकस्मिक निधि को गंभीरता से नहीं लेते। इस वजह से उनका बजट नियंत्रण में नहीं रह पाता।

आर्थिक प्रबंधन के लिए आकस्मिक निधि कितनी होनी चाहिए?

ऐसा माना जाता है कि एक नौकरीपेशा इंसान पास उसकी मंथली इनकम की ६ गुना रकम आकस्मिक निधि के रूप उसके पास होना चाहिए। अगर आपकी सैलरी ५०००० रुपये है , तो काम तीन लाख रुपये आपके पास होना चाहिए।हर महीने अपनी सैलरी १० % आकस्मिक निधि के लिए रिजर्व रखें। अगर महीने में कोई आकस्मिक खर्च आ जाता है , तो इन पैसों को यूज कर सकते हैं। अगर महीने में कोई आकस्मिक खर्च नहीं आता है, तो ये पैसे अगले महीने के लिए केरी फॉरवर्ड हो जाएंगे।

आकस्मिक निधि कैसे बनाएं?

आर्थिक प्रबंधन में आकस्मिक निधि एक वन टाइम अरेंजमेंट है। मतलब हर महीने इतने पैसे बजट में एड करने की जरुरत नहीं है। पहली बार ये निधि स्थापित करने के लिए आप अपनी सेविंग्स, या फिर बोनस का इस्तेमाल कर सकते हैं। पैसों को कॅश में रखने की जरुरत नहीं है। आप इसको सेविंग अकाउंट में रख सकते हैं। फिक्स डिपॉजिट कर सकते है। बस एक बात का ध्यान रखें कि जरुरत पड़ने पर ये आसानी उपलब्ध हो सके।

4. सिर्फ पेंशन फंड के भरोसे रहना।(Relying Solely on a Pension fund.)

पेंशन फंड रिटायरमेंट के लिए एक अच्छा विकल्प है। लेकिन इसकी कुछ कमियां हैं। खासकर कि जबकि आपको पैसों की एकमुश्त जरुरत हो या फिर जल्दी जरुरत हो। मध्यम वर्ग के आर्थिक प्रबंधन में भविष्य की आय के लिए कोई मजबूत योजना नहीं होती है। ज्यादातर लोग सस्ती पेंशन स्कीम जैसे कि एम्प्लोयी प्रोविडेंट फंड (EPF). अगर आप किसी पेशा इंसान से पूछें कि उसकी बचत का सबसे ज्यादा नियमित प्रकार क्या है तो १०० में से ७५ लोग बोलेंगे PF. ज्यादातर लोगों को PPF और EPF में स्पष्ट अंतर भी होता।

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अगर आज आपकी एक निश्चित आय हो रही है तो आपको अपने आर्थिक प्रबंधन में इन्वेस्टमेंट को शामिल करना होगा। अपने इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो को विस्तृत और दूरदर्शी बनाएं। अपने अलग अलग उदेश्यों के हिसाब से अलग अलग जगह पैसों का निवेश करें। फिक्स डिपॉजिट, प्रोविडेंट फंड , mutual फण्ड , equity ,स्वर्ण आभूषण , रियल एस्टेट आदि में अपनी सुविधा अनुसार निवेश करके रखें।

सही आर्थिक प्रबंधन के लिए कहाँ /कितना निवेश करें?

अगर आपकी आय 1 लाख रुपये प्रतिमाह है तो आपके आर्थिक प्रबंधन में इस तरह की बजट का प्लान होना चाहिए :

लिक्विड फंड (नकद ,सेविंग अकॉउंट)आपकी 1 महीने की सैलरी (1 लाख रुपये)
शार्ट टर्म जरुरत के लिए फंड (ऍफ़ डी)आपकी 6 महीने की सैलरी (5 लाख रुपये)
मध्यम जरूरतों के लिए फंडआपकी 12 महीने की सैलरी (12 लाख रुपये)
बड़ी जरूरतों के लिए फंडआपकी 32 महीने की सैलरी (32 लाख रुपये)
रिटायरमेंट फंडसैलरी का 200 गुना (2 करोड़ रूपये)
आर्थिक प्रबंधन का आदर्श फार्मूला

आदर्श आर्थिक प्रबंधन के लिए पैसा कहाँ से आएगा ?

ऊपर दिए गए विवरण के अनुसार पैसा एकत्र करने में तो पूरी जिंदगी निकल जाएगी। साधारण मध्यम वर्ग का इंसान इतने पैसे कहाँ से लाएगा ? ऐसे विचार आपके दिमाग में भी आये होंगे। ये इतना मिश्किल भी नहीं है। अगर आप ध्यान से देखें तो पाएंगे कि पहली 2 लाइंस सिर्फ आपकी आकस्मिक निधि है। उसको कैसे अरेंज करना है इसका तरीका आपको पहले ही बता दिया गया है।

मध्यम और बड़ी जरूरतों के लिए आप अपने इन्वेस्टमेंट को मजबूत बना सकते हैं। म्युचअल फंड और अन्य बचत योजनाएं आपके इन्वेस्टमेंट को कई गुना तक बढ़ा सकती हैं।रिटायरमेंट फंड के लिए आप एक सेपरेट विकल्प चुने। आजकल कईं राष्टीयक्रत बैंक ऐसी योजनाएं लेकर तैयार हैं जिनमे मंथली कुछ अमाउंट लगातार जमा करने पर रिटायरमेंट के वक़्त एक बड़ा अमाउंट मिल सकता है।

5. दिखावे की लाइफस्टाइल।

मध्यम वर्ग में अपने ग्रुप से निकलकर उच्च वर्ग में शामिल होने की तीव्र इच्छा होती है। इसी कारण वोअनाप सनाप खर्च करते हैं। वो ऐसी चीजें सिर्फ दिखावे के लिए खरीदते हैं जो उनके बजट से बाहर होती हैं। सिर्फ अपने आप को बड़ा और प्रतिष्ठित दिखने के लिए अपनी लिमिट से ज्यादा खर्च करना बुद्धिमानी नहीं है।

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क्या न करें?

सिर्फ दिखावे के लिए बड़ा घर और luxary कार खरीदने से बचें। कुछ देर के दिखावे की वजह से आप एक लम्बे कर्ज और EMI के जाल में फास सकते है। एक अच्छे आर्थिक प्रबंधन में में कर्ज के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। अगर आपके पास एक बड़ा घर और बड़ी कार खरीदने के लिए पैसे हैं तो उतने पैसे आप की जगह निवेश कर दें। आपकी लाइफस्टाइल भी मेंटेन रहेगी और और पैसे भी बढ़ते रहेंगे।

6. खरीददारी में गलती करना (Not Shopping Smart)

जब भी आप कोई खरीददारी करें चाहे वो ग्रोसरी हो, कार हो या कपडे हों , हमेशा ध्यान में रखें कि आपकी शॉपिंग आपके आर्थिक प्रबंधन के नियंत्रण में रहे। बड़े मॉल में खरीददारी करने के बजाय किसी लोकल स्टोर से खरीददारी करें। ब्रांडेड चीजें खरीदने की बजाय लोकल ब्रांड को महत्त्व दें। ऐसी मेम्बरशिप को ज्वाइन करें जिससे आपको डिस्काउंट मिले।अगर आप अपनी मंथली शॉपिंग में से 1000 रुपये भी बचते हैं तो उनको अपनी बचत में एड कर दें।

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7. बचत और निवेश शुरू करने में देरी करना। (Delaying Retirement Savings)

निवेश का नियम है कि आप जितने जल्दी शुरू करेंगे उतना ज्यादा फायदा मिलेगा। क्यूंकि आपके निवेश को ग्रो होने के लिए पर्याप्त समय मिलेगा। अक्सर लोग ये गलती करते हैं कि आर्थिक प्रबंधन को जल्दी नहीं समझ पाते। लेकिन जब जागो तभी सबेरा। आज से ही फंड बनाना शुरू कीजिये , हर साल जितना हो सके उतनी सेविंग शुरू कीजिये।

हर महीने अपनी आय का 10 % अपनी बचत और निवेश के अकाउंट में सैलरी आते ही डिपॉजिट कर दें। सोच लीजिये कि आपकी सैलरी सिर्फ 90 % ही है।यही 10 % आपके लिए एक बड़े फंड का इंतजाम करेंगे। हर महीने एक निश्चित रकम आपके बचत खाते में जाए इसके लिए आप RD (रिकरिंग डिपॉजिट) ओपन कर सकते हैं।

8. अप्रतिमान्य संपत्ति (Depreciating Assets)पर बहुत ज्यादा खर्च करना.

Depreciating का अर्थ होता है कि जो संपत्ति समय के साथ अप्रतिमान्य होती जाती है, यानी इसका मूल्य कम होता जाता है। उदाहरण के लिए, एक कार जो समय के साथ अधिक खराब होती जाती है उसे अप्रतिमान्य संपत्ति कहा जाता है। एक ब्रांड न्यू लग्जरी कार आपको ख़ुशी दे सकती है, लेकिन ये एक अच्छा आईडिया नहीं है। ऐसी संपत्ति वेल्यू समय साथ कम होती जाती है। आप उसको उतने पैसे में वापिस नहीं बेच सकते जितने आपने उसको ख़रीदा था। अगर आप एक ऐसी कार खरीदते हैं जो कुछ साल पुरानी है, जिसका माइलेज भी कम है और कीमत भी , तो उसका depretiation कम होगा।

9. बीमा को नजर अंदाज करना।(Overlooking Insurance Needs)

बीमा आपकी आर्थिक प्रबंधन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकता है। घर के मालिक या किराएदार के बीमा से आपकी संपत्ति को सुरक्षित रखा जा सकता है, और जीवन बीमा आपके परिवार को किसी अपघात के मामले में संरक्षित रखने में मदद कर सकता है।एक इंसान के पास निम्न अनुसार बीमा अवश्य होना चाहिए :

अपने स्वस्थ जीवन और चिकित्सा सम्बन्धी जरूरतों के लिएHealth Insuranceआवश्यक
अपने जीवन में आने वाली आकस्मिक दुर्घटनाओं के प्रबंधन के लिएMediclaimआवश्यक
अगर आप ना रहे तो आपके परिवार के लिए मददTerm Insuranceआवश्यक
वाहन सम्बन्धी जरुरत के लिएMotor Insuranceवैकल्पिक
आपके घर और संपत्ति की सुरक्षा के लिएHome Insuranceवैकल्पिक
यात्रा के दौरान सुरक्षा के लिएTravel Insuranceवैकल्पिक
Insurance

10. क्रेडिट स्कोर पर ध्यान न देना।(Ignoring Your Credit Score)

आपकी आर्थिक प्रबंधन में आपका क्रेडिट स्कोर सबसे महत्वपूर्ण संख्याओं में से एक है। यह आपकी ऋण, क्रेडिट कार्ड और नौकरियों जैसी चीजों के लिए मंजूरी प्राप्त करने की क्षमता पर असर डाल सकता है। फिर भी, बहुत से लोग नियमित रूप से अपना क्रेडिट स्कोर जांचने या इसे सुधारने के लिए कदम नहीं उठाते हैं।

क्रेडिट स्कोर की जांच करना कम से कम एक बार वर्ष में एक आदत बनाएं, और अगर आप घर या कार जैसी बड़ी खरीदारी करने की योजना बना रहे हैं, तो अधिक बार जांचते रहें। यदि आप त्रुटियों या गलतियों का पता लगाते हैं, तो क्रेडिट ब्यूरो के साथ उन्हें विवाद करें। साथ ही साथ, अपने बिल को समय पर भुगतान करने और अपनी क्रेडिट उपयोगिता को कम रखने की सुनिश्चित करें ताकि आपके स्कोर को बढ़ाने में मदद मिल सके।

भविष्य पर ध्यान न देना।

दिन-प्रतिदिन के काम में उलझना आसान होता है और भविष्य के लिए योजना (आर्थिक प्रबंधन) बनाना भूल जाना आम बात है। हालांकि, योजना न बनाने से आने वाले समय में बड़ी आर्थिक तनाव पैदा हो सकता है। अपने लंबी समय तक के लक्ष्यों के बारे में सोचने और उन्हें हासिल करने के लिए एक योजना (आर्थिक प्रबंधन)बनाने के लिए समय निकालें।

इसका अर्थ हो सकता है कि बजट बनाना, आपातकालीन निधि बनाना, रिटायरमेंट के लिए बचत करना या स्टॉक या रियल एस्टेट में निवेश करना शामिल हो सकता है। चाहे आपके लक्ष्य कुछ भी हों, एक आर्थिक प्रबंधन योजना बनाएं और उसे लागू करें। याद रखें, जितनी जल्दी आप योजना बनाना शुरू करते हैं, उतना ही अधिक समय होता है आपके लक्ष्यों को हासिल करने और एक सुरक्षित आर्थिक भविष्य बनाने के लिए।
अपने खर्चे कम करने के लिए इसको पढ़ें : कर्ज से छुटकारा कैसे पाएं?

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